×
userImage
Hello
 Home
 Dashboard
 Upload News
 My News
 All Category

 News Terms & Condition
 News Copyright Policy
 Privacy Policy
 Cookies Policy
 Login
 Signup
 Home All Category
Wednesday, Dec 11, 2024,

Environment / NationalNews / India / Madhya Pradesh / Pachmarhi
पचमढ़ी हिल स्टेशन- प्राचीन गुफाओं से ब्रिटिश युग तक का सफर

By  AgcnneduNews... /
Wed/Jul 31, 2024, 10:12 AM - IST -191

  • यह माना जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने अपने वनवास के दौरान यहां शरण ली थी।
  • ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इस क्षेत्र में समय बिताया था। पचमढ़ी के 'पांडव गुफाएं' इन्हीं पांडवों से संबंधित मानी जाती हैं।
Pachmarhi/
मध्य प्रदेश/पहाड़ों की खूबसूरती का जिक्र करें तो हिमाचल और उत्तराखंड ही ध्यान में आता है परंतु मध्य प्रदेश का पचमढ़ी हिल स्टेशन भी सुंदरता की एक मिसाल है। यहाँ चारों तरफ फैली हरियाली और मनोरम दृश्य आपका मन मोह लेगी। पचमढ़ी, मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित एक सुरम्य हिल स्टेशन है, जिसे 'सतपुड़ा की रानी' के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है और समुद्र तल से 1067 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां का शांत और प्राकृतिक वातावरण इसे पर्यटकों के बीच खास लोकप्रिय बनाता है। मध्य प्रदेश का उच्चतम बिन्दु 1352 मीटर का ऊंचा धूपगढ़ भी यहीं पर स्थित है। पचमढ़ी केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए ही नहीं, बल्कि अपने वन्यजीवन के लिए भी प्रसिद्ध है। यह सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान का भाग होने के कारण यहाँ आसपास बहुत घने जंगल हैं। यहाँ के जंगलों में शेर, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर, चिंकारा, भालू, भैंस तथा कई अन्य जंगली जानवर मिलते हैं। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान में कई दुर्लभ पक्षियों की प्रजातियां भी पाई जाती हैं, जो पक्षी प्रेमियों को आकर्षित करती हैं।
 
पचमढ़ी में प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक स्थल और ऐतिहासिक महत्व के कई स्थल मौजूद हैं। पचमढ़ी का नाम संस्कृत के 'पंचमढ़ि' से निकला है, जिसका अर्थ है 'पांच गुफाएं'। यह माना जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने अपने वनवास के दौरान यहां शरण ली थी। पचमढ़ी की जलवायु साल भर सुखद रहती है। पचमढ़ी का जनजीवन सामान्यतः शांतिपूर्ण और सरल है। यहां के लोग मुख्यतः कृषि और पर्यटन पर निर्भर रहते हैं। यहां की स्थानीय संस्कृति में आदिवासी संस्कृति का भी मिश्रण देखने को मिलता है। पचमढ़ी में मनाए जाने वाले त्योहारों में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है, जब चौरागढ़ मंदिर में हजारों श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा के लिए एकत्र होते हैं।
 
पचमढ़ी का इतिहास एक लंबी और समृद्ध यात्रा है, जिसमें प्राचीन काल की कथाओं से लेकर औपनिवेशिक युग के विकास और आधुनिक काल के पर्यटन स्थल बनने तक के विभिन्न चरण शामिल हैं। यहां के प्राकृतिक और ऐतिहासिक स्थलों में इस इतिहास की छाप साफ दिखाई देती है। यह स्थान ना केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए बल्कि अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। पचमढ़ी का सबसे पुराना संदर्भ महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इस क्षेत्र में समय बिताया था। पचमढ़ी के 'पांडव गुफाएं' इन्हीं पांडवों से संबंधित मानी जाती हैं। ये पांच गुफाएं चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं और इसे महाभारत काल के दौरान पांडवों द्वारा निवास के रूप में उपयोग किए जाने का प्रतीक माना जाता है। पांडव गुफाएं इस क्षेत्र के प्राचीन इतिहास का प्रमाण हैं और यहां की स्थापत्य शैली भी प्राचीन समय की गवाही देती है। मध्यकालीन इतिहास में पचमढ़ी के बारे में विशेष जानकारी नहीं मिलती है। तब यह क्षेत्र घने जंगलों से घिरा हुआ था और स्थानीय आदिवासी समुदायों का निवास स्थान था। यह क्षेत्र लंबे समय तक बाहरी दुनिया से अछूता रहा। पचमढ़ी का औपनिवेशिक महत्व तब उभर कर आया जब ब्रिटिश कैप्टन जेम्स फोर्सिथ ने 1857 में इस क्षेत्र का सर्वेक्षण किया। कैप्टन फोर्सिथ ने पचमढ़ी की प्राकृतिक सुंदरता और इसकी सामरिक स्थिति को पहचाना और इसे एक सैन्य स्थल के रूप में विकसित किया। ब्रिटिश सरकार ने यहां एक सैन्य छावनी (कैंटोनमेंट) स्थापित की, जो गर्मियों में ब्रिटिश अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए एक आरामदायक स्थान बन गया। ब्रिटिश अधिकारियों ने पचमढ़ी को विकसित करने के लिए यहां बंगलों, चर्चों और अन्य संरचनाओं का निर्माण किया। यहां का क्राइस्ट चर्च और चर्च ऑफ स्कॉटलैंड जैसे धार्मिक स्थलों का निर्माण भी इसी काल में हुआ। इन संरचनाओं में ब्रिटिश स्थापत्य शैली की झलक देखने को मिलती है, जो आज भी इस क्षेत्र में मौजूद हैं।
 
भारत की स्वतंत्रता के बाद पचमढ़ी को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया। मध्य प्रदेश सरकार ने यहां के प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने के लिए सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना की। आज पचमढ़ी एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन के रूप में जाना जाता है, जहां पर्यटक साल भर आते हैं। यहां का शांत वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता इसे एक अनूठा पर्यटन स्थल बनाते हैं। पचमढ़ी का आधुनिक विकास पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन के संतुलन पर केंद्रित है। यहां का स्थानीय जनजीवन और संस्कृति भी धीरे-धीरे बदल रही है, लेकिन यह अब भी अपनी आदिवासी जड़ों से जुड़ा हुआ है। पचमढ़ी में हर साल बड़ी संख्या में इसके समृद्ध इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता को देखने के लिए पर्यटक आते हैं।
 
पचमढ़ी के प्रमुख आकर्षण:
पचमढ़ी में घूमने के लिए कई अद्भुत स्थल हैं जो प्रकृति, इतिहास और धार्मिक आस्था से जुड़ी सुंदरता का अनुभव कराते हैं। जैसे-
  1. धूपगढ़: धूपगढ़ पचमढ़ी का सबसे ऊंचा स्थान है, जिसकी ऊंचाई 1350 मीटर है। यहां से पूरे सतपुड़ा रेंज का अद्भुत नजारा दिखाई देता है। धूपगढ़ सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहां का वातावरण साफ और शांतिपूर्ण है, जो इसे एक आदर्श पिकनिक स्थल बनाता है।
  2. बी फॉल्स: बी फॉल्स पचमढ़ी का एक प्रमुख जलप्रपात है, जिसे जमुनिया फॉल्स भी कहा जाता है। यह करीब 150 फीट की ऊंचाई से गिरता है और यहां का पानी बहुत ही शीतल और ताजगी देने वाला होता है। यहां का हरे-भरे जंगलों के बीच का रास्ता भी बहुत खूबसूरत है, और यह झरना ट्रेकिंग के शौकीनों के बीच बहुत लोकप्रिय है। यह स्थान गर्मियों के दौरान ठंडक का अनुभव करने के लिए आदर्श है।
  3. पांडव गुफाएं: पांडव गुफाएं पांच चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफाएं हैं, जिन्हें महाभारत के पांडवों से जोड़कर देखा जाता है। यह गुफाएं प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। यहां की गुफाएं ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखती हैं और यह स्थान पर्यटकों को पचमढ़ी के प्राचीन इतिहास से परिचित कराता है।
  4. जटाशंकर गुफा: यह एक प्राकृतिक गुफा है, जो भगवान शिव को समर्पित है। गुफा के अंदर प्राकृतिक रूप से बने शिवलिंग और एक अद्वितीय जलधारा है। यह स्थान धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। यहां की गुफा की बनावट और प्राकृतिक स्वरूप भी पर्यटकों को आकर्षित करता है।
  5. चौरागढ़: चौरागढ़ एक पहाड़ी मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यहां तक पहुंचने के लिए 1300 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जो इस यात्रा को रोमांचक बनाता है। शिवरात्रि के समय यहां हजारों श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा के लिए एकत्र होते हैं। यह स्थान धार्मिक आस्था और ट्रेकिंग के लिए मशहूर है।
  6. हांडी खोह: हांडी खोह पचमढ़ी की सबसे गहरी और खड़ी घाटी है, जिसकी गहराई लगभग 300 फीट है। यह घाटी चारों ओर से घने जंगलों से घिरी हुई है। हांडी खोह का दृश्य बहुत ही रोमांचक और रहस्यमयी होता है। यहां की चट्टानों का अनूठा आकार और गहराई इस स्थान को खास बनाते हैं।
  7. अप्सरा विहार: यह एक प्राकृतिक स्विमिंग पूल है, जो घने जंगलों के बीच स्थित है। इसे 'फेयरी पूल' भी कहा जाता है। यह स्थान परिवारों और बच्चों के लिए आदर्श पिकनिक स्थल है। यहां का साफ पानी और प्राकृतिक सौंदर्य इसे खास बनाते हैं।
  8. महादेव गुफा: महादेव गुफा भगवान शिव को समर्पित एक गुफा मंदिर है। यह गुफा एक तंग रास्ते से होकर जाती है और इसमें प्राकृतिक रूप से शिवलिंग स्थापित है। महाशिवरात्रि के समय यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है और इस दौरान यहां हजारों श्रद्धालु एकत्र होते हैं। यह स्थान धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र है।
  9. राजेंद्र गिरि: राजेंद्र गिरि वह स्थान है जहां भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कुछ समय बिताया था। यह एक सुंदर पहाड़ी स्थल है, जो अब एक ध्यान केंद्र (मेडिटेशन सेंटर) के रूप में विकसित किया गया है। यहां का शांत और सौम्य वातावरण ध्यान और आत्मचिंतन के लिए आदर्श है।
  10. सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान: सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान पचमढ़ी के पास स्थित है। यह वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। यहां शेर, तेंदुआ, भालू, हिरण और कई अन्य वन्यजीवों को देखा जा सकता है। यह उद्यान ट्रेकिंग, जंगल सफारी और बर्ड वॉचिंग के लिए मशहूर है। यहां का अद्भुत वनस्पति और जीव-जंतु जीवन पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
  11. प्रियदर्शिनी पॉइंट (फोर्सिथ पॉइंट): प्रियदर्शिनी पॉइंट, जिसे पहले फोर्सिथ पॉइंट के नाम से जाना जाता था, वह स्थान है जहां से कैप्टन जेम्स फोर्सिथ ने पचमढ़ी की खोज की थी। यह स्थान एक शानदार व्यू पॉइंट है। यहां से सतपुड़ा की पहाड़ियों का अद्भुत दृश्य देखा जा सकता है। यह जगह प्राकृतिक सुंदरता का अद्वितीय अनुभव प्रदान करती है।
इस प्रकार पचमढ़ी में घूमने के लिए कई स्थान हैं, जो विभिन्न प्रकार के अनुभव प्रदान करते हैं। चाहे वह धूपगढ़ का सूर्योदय हो, बी फॉल्स का शीतल जल हो या चौरागढ़ की रोमांचक यात्रा, पचमढ़ी का हर कोना अद्वितीय और मनमोहक है। यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य, इतिहास और धार्मिक आस्था का एक अद्भुत संगम है, जो इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल बनाता है।
 
पचमढ़ी यात्रा का उपयुक्त समय:
पचमढ़ी घूमने का सही समय अक्टूबर से मार्च के बीच का होता है। इस अवधि में यहां का मौसम सबसे सुखद और ठंडा होता है, जो इसे घूमने के लिए आदर्श बनाता है। परंतु अलग-अलग मौसमों में पचमढ़ी के अनुभव भिन्न हो सकते हैं, जैसे-
  • सर्दियों का मौसम (अक्टूबर से मार्च): इस समय तापमान 4°C से 15°C तक होता है। सर्दियों के दौरान पचमढ़ी का मौसम ठंडा और सुखद होता है। इस समय धूप नरम होती है और वातावरण बहुत ही साफ और ताजगी भरा होता है। यह समय हनीमून कपल्स, परिवारों और प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श है। ट्रेकिंग, जंगल सफारी और सूर्योदय व सूर्यास्त के अद्भुत दृश्य देखने के लिए यह सबसे अच्छा समय है।
  • गर्मी का मौसम (अप्रैल से जून): इस समय तापमान: 20°C से 35°C तक होता है। गर्मियों के दौरान पचमढ़ी का तापमान बढ़ जाता है, लेकिन ऊंचाई के कारण यहां का मौसम तुलनात्मक रूप से ठंडा और सुखद रहता है। इस समय पचमढ़ी का वातावरण आरामदायक होता है और बी फॉल्स जैसे जलप्रपातों में स्नान का आनंद लिया जा सकता है। हालांकि, यह समय दिन में बाहर घूमने के लिए थोड़ा गर्म हो सकता है।
  • मानसून का मौसम (जुलाई से सितंबर): इस समय तापमान: 18°C से 25°C तक होता है। मानसून के दौरान पचमढ़ी में भारी वर्षा होती है। यहां की पहाड़ियां और जंगल इस समय हरी-भरी हो जाती हैं और झरने अपने चरम पर होते हैं। मानसून में पचमढ़ी की प्राकृतिक सुंदरता अपने चरम पर होती है, लेकिन बारिश के कारण ट्रेकिंग और अन्य बाहरी गतिविधियों में मुश्किलें हो सकती हैं। इसके बावजूद, मानसून के दौरान आने वाले पर्यटक इस हरी-भरी सुंदरता का आनंद उठा सकते हैं।
अगर आप पचमढ़ी की प्राकृतिक सुंदरता और बाहरी गतिविधियों का पूरी तरह से आनंद लेना चाहते हैं, तो सर्दियों का समय सबसे उपयुक्त है। गर्मियों में भी यात्रा की जा सकती है, खासकर अगर आप गर्मियों की छुट्टियों में ठंडे मौसम का अनुभव करना चाहते हैं। मानसून में यहां की हरियाली अद्भुत होती है, लेकिन भारी बारिश के कारण यात्रा की योजना बनाते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
 
कैसे पहुंचे पचमढ़ी:
पचमढ़ी तक पहुँचने के लिए आप सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग का उपयोग कर सकते हैं। यहां के लिए कोई सीधा हवाई अड्डा या रेलवे स्टेशन नहीं है, लेकिन निकटतम प्रमुख शहरों से यहाँ आसानी से पहुंचा जा सकता है।
  • हवाई मार्ग: पचमढ़ी के निकटतम हवाई अड्डे भोपाल और जबलपुर हैं। भोपाल का राजाभोज हवाई अड्डा पचमढ़ी से लगभग 195 किलोमीटर दूर है। जबलपुर का डुमना हवाई अड्डा पचमढ़ी से लगभग 250 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से पचमढ़ी तक पहुंचने के लिए आप टैक्सी या बस ले सकते हैं। दोनों ही हवाई अड्डों से पचमढ़ी तक पहुंचने में लगभग 4-6 घंटे का समय लगता है।
  • रेल मार्ग: पचमढ़ी का निकटतम रेलवे स्टेशन पिपरिया है, जो पचमढ़ी से लगभग 52 किलोमीटर दूर है। पिपरिया एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है, जो भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है, जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और भोपाल। पिपरिया से पचमढ़ी तक टैक्सी, जीप या बस द्वारा पहुंचा जा सकता है। पिपरिया से पचमढ़ी तक का सफर लगभग 1.5 घंटे का है।
  • सड़क मार्ग: पचमढ़ी तक पहुंचने के लिए भोपाल, इटारसी और पिपरिया से नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। राज्य परिवहन की बसें और निजी ऑपरेटर्स दोनों ही पचमढ़ी के लिए बस सेवाएं प्रदान करते हैं। आप निजी टैक्सी या जीप भी किराए पर ले सकते हैं, जो आपको पास के शहरों से सीधे पचमढ़ी तक ले जाएगी। पचमढ़ी तक पहुंचने के लिए सड़कें अच्छी तरह से विकसित हैं और रास्ता काफी सुहाना और दर्शनीय है।
यदि आप स्वयं के वाहन से यात्रा कर रहे हैं, तो पचमढ़ी तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग अच्छा विकल्प है। भोपाल, इटारसी और पिपरिया से पचमढ़ी तक सड़कें अच्छी स्थिति में हैं और रास्ता हरा-भरा और पहाड़ी है जो यात्रा को और भी खूबसूरत बना देता है। पचमढ़ी की प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव करने के लिए यह सभी मार्ग उपयुक्त हैं।
 
इस प्रकार पचमढ़ी अपने प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के साथ एक आदर्श पर्यटन स्थल है। यह स्थान ना केवल शांति और सुकून का अनुभव करने के लिए बल्कि रोमांच और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक स्वर्ग के समान है। यहां की हरियाली, जलप्रपात और मनोरम दृश्य हर किसी को मोहित कर लेते हैं। पचमढ़ी का दौरा हर पर्यटक के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होता है।
By continuing to use this website, you agree to our cookie policy. Learn more Ok